Saturday, September 3, 2011

विधाता के आगे बेबस हैं उगमाकंवर!

मानसिक विमंदित बच्चों के लिए हाथ फैलाने को मजबूर मां के छलक पड़ते हैं आसूं। मां पर भी विपदाओं का पहाड़ टूट पड़ा। छह वर्ष पूर्व पति की मौत के बाद टूट गई। लेकिन अपने जिगर के टुकड़ों को संभालने, उनका पेट भरने की चिंता अब सताए जा रही है। चार में से तीन बच्चे मानसिक विमंदित हैं। ग्राम तंवरा के सार्वजनिक बस स्टैंड पर विधवा उगमाकंवर बेसहाय खड़ी अपने मानसिक विमंदित बज्जों को निहारती हुए लोगों से मदद की आस करती रहती हैं। छह वर्ष पूर्व पति गिरधारीसिंह की असामयिक मौत के बाद मानों इन पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। पति की मौत के साथ ही चार अबोध बालकों के लालन-पालन की जिम्मेदारी इसी पर आ पड़ी।

कुदरत की लीला के चलते चार में से तीन बच्चे मानसिक विक्षिप्त है। इनमें से भी एक बच्चे की गुरूवार सुबह ही मौत हो गई। ग्राम तंवरा निवासी 45 वर्षीय उगमाकंवर का पति गिरधारीसिंह आजीविका चलाने के लिए बाहर लोहे की फैक्ट्रियों में कमाई कर रहा था कि 6 वर्ष पूर्व किसी बीमारी से असामयिक मृत्यु हो गई। गिरधारीसिंह आजीविका चलाने के लिए मुम्बई के बाद कई वषोंü तक दक्षिण अफ्रीका में कार्य किया। लगभग 6 वर्ष पूर्व घर आकर इन्होंने मकान निर्माण शुरू करवाया लेकिन 6 माह बाद ही बीमारी के चलते असामयिक मृत्यु हो गई। लेकिन बीमारी से जूझ रहे 10 वर्षीय बेटे विजयसिंह (पिन्टू) को इलाज नहीं मिलने से मौत हो गई। इससे मां पर दु:खों का पहाड़ टूट गया।


ये हैं संतान

चारों संतानों में 16 वर्षीय शैतानसिंह, 13 वर्षीय कानसिंह मानसिक विमंदित हैं। सबसे छोटे बेटे दिलीपसिंह की मानसिक स्थिति कुछ ठीक है। पति की मृत्यु के बाद कुछ दिन तक इन्होंने जैसे तैसे आजीविका चलाकर बज्जों का भरण पोषण किया लेकिन अब बीमार व मानसिक विक्षिप्त बज्जों के इलाज के अभाव में दु:खों को झेलते हुए अब यही विक्षिप्त हो गई।

जैसे-तैसे भर रहे हैं पेट


उगमाकंवर के बड़ा पुत्र पोलियोग्रसित है। एक बेटा मानसिक विमंदित हैं। सबसे छोटा बच्चा कुछ ठीक है। दोनों बड़े बेटे चाचा के घर पर रहकर अपना पेट भर लेते हैं। उगमाकंवर अपने बच्चों के साथ घर पर ही रह रही है। मानसिक हालात ठीक नहीं होने के कारण वो कभी पड़ोसियों से तो कभी ग्रामीणों के घर से पेट भर लेती है।

नहीं मिली सरकारी सहायता

चयनित परिवार में होने के बावजूद आज तक इन्हें किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है। चयनित परिवार में होने के बावजूद नि:शुल्क दवा वितरण कार्ड, पालनहार योजना, विधवा पेंशन जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है।

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